एक ख़त मेरे पापा को......
एक ख़त मेरे पापा को......
क्यूं आपने सारे मुसीबत सह कर
मेरी ज़िन्दगी को सजाया है....
क्यूं आपने अपने ख्वाब भूल कर
मेरे सपनो को हकीकत बनाया है....
क्यूं आपने हर दर्द, खुद में ही दबा कर
मुझे खुशियों से मिलाया है...
क्यूं आपने अपने जरूरत से पहले
मेरी ज़िद्द को पूरा किया है
आखिर क्यूं पापा आपने मुझे
पलकों पे बैठाया है....
मेरे चेहरे देख कर मेरा हाल जान लेते हैं
आखिर क्यूं पापा आप मुझे इतना प्यार करते हैं...???
आपके ही नाम से लोग मुझे पहचानते हैं
बेटी आपकी हूं शायद यही सब जानते हैं
आपने तो मुझे जीना सिखाया है
मेहनत कर
सपने कैसे पूरे किए जाते हैं
ये भी आपने ही बताया है
वजह तो आप हो मेरी
हर जीत की
जब टूट कर बिखर रही थी
तो आपने ही मुझे थामा
हर कदम पे साथ आपका रहता है
शायद इसीलिए ख्वाब मेरे पूरे होते हैं
अब कैसे खुद को रोक लूं
ये सब कहने से
आपकी गोद में ही तो जन्नत है
और ये बात मैं कैसे भूल जाऊं
कभी कहा नहीं
मगर मैं आपके जैसा बनना चाहती हूं
हां माना ये आसान नहीं
मगर मैं ख्वाब आपकी पूरी करना चाहती हूं....
कभी मांगा नहीं आपने मुझे से कुछ
मगर मैं कुछ देना चाहती हूं
हां , अब मैं आपकी होठों की मुस्कान बनना चाहती हूं.
