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Shakuntla Agarwal

Inspirational

4.6  

Shakuntla Agarwal

Inspirational

वजूद

वजूद

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मुझसे मत पूछो,

मेरा वजूद क्या है ?

दुनिया में आयी,

जी पाई,

ये क्या ना काफी है ?

मेरे वजूद के लिए,


किसी के ख़्वाबों में,

महक जाऊँ,

ये ही काफी है,

मेरे वजूद के लिए,


दुःख से लबरेज हो कोई,

उसका सहारा बन जाऊँ,

ये ही काफी है,

मेरे वजूद के लिए,


देश के लिए,

अपनी जान न्यौछावर

कर जाऊँ,

ये ही काफी है,

मेरे वजूद के लिए,


माँ - बाप का सम्बल बन जाऊँ,

ये ही काफी है,

मेरे वजूद के लिए,


प्रियतम की साँसों में

महक जाऊँ,

ये ही काफी है,

मेरे वजूद के ल

िए,


श्री चरणों में गुलाब

बन चढ़ जाऊँ,

ये ही काफी है,

मेरे वजूद के लिए,


दुनिया में जब तक हूँ,

दूसरों के लबों पे,

मुस्कान बन बिखर जाऊँ,

ये ही काफी है,

मेरे वजूद के लिए,


लहू बन कर,

बच्चों की रगों में दौड़ जाऊँ,

ये ही काफी है,

मेरे वजूद के लिए,


जीने को तो सभी जीते हैं मगर,

मैं जीजाबाई की तरह,

माँ बन जी पाऊँ,

ये ही काफी है,

मेरे वजूद के लिए,


सपने को हक़ीकत का

जामा पहना,

क़िताबों में लफ्ज़ बन

उभर जाऊँ,

ये ही काफी है,

"शकुन" मेरे वजूद के लिए ||


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