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DR ARUN KUMAR SHASTRI

Fantasy Inspirational

4.5  

DR ARUN KUMAR SHASTRI

Fantasy Inspirational

विषय वस्तु

विषय वस्तु

1 min
428


सौंदर्य को जो लोग विषय वस्तु बना लेते हैं

सच कहूँ वो इंसान कम व्यापारी ज्यादा होते हैं ।।

घंटों घंटों बैठ अनगिनत प्रसाधनों से सज कर 

वो खुद को अभिसार का सामान बना लेते हैं ।।

सच कहूँ वो इंसान कम व्यापारी ज्यादा होते हैं ।।


नवरस तो नवराज हैं स्वयं गुणों की खान हैं

नाज़ों नखरा त्याग कर जैसे सकल सुजान हैं।।

फिर क्यों प्राकृत भाव त्याग कर दोषी बन जाते हैं

सौंदर्य को जो लोग विषय वस्तु बना लेते हैं

सच कहूँ वो इंसान कम व्यापारी ज्यादा होते हैं ।।


डूबना है जिनको उथले पानी में क्यों नेह लगा लेते हैं

समंदर के तैराक होकर एक बाथ टब में डूब जाते हैं।।

सौंदर्य को जो लोग विषय वस्तु बना लेते हैं

सच कहूँ वो इंसान कम व्यापारी ज्यादा होते हैं ।।


मसीहा बन नहीं सकते मसीही ख़याल तो रखो 

गुज़र यूँ तो इस दुनिया में पंछी भी चला लेते हैं ।।

आशिक़ी न आई हमको न ही हम हुए आशिक किसी पर

बात बनाने को तो ये अबोध बालक बातों का

अंबार सज़ा देते हैं।।

सौंदर्य को जो लोग विषय वस्तु बना लेते हैं

सच कहूँ वो इंसान कम व्यापारी ज्यादा होते हैं ।।



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