नवरस तो नवराज हैं स्वयं गुणों की खान हैं नवरस तो नवराज हैं स्वयं गुणों की खान हैं
है भिन्न भिन्न मौसम हर मौसम का है अपना रंग और ढंग भी निराला है भिन्न भिन्न मौसम हर मौसम का है अपना रंग और ढंग भी निराला
हास- विलास प्रवीण रति क्रीड़ा व्याकुल उन्मादी रमणी सी! हास- विलास प्रवीण रति क्रीड़ा व्याकुल उन्मादी रमणी सी!