संतुलन
संतुलन
है अंधेरा है उजाला
दोनो का है अलग सा
अपना अपना रेला
है नाद से भरी ये वसुंधरा
कोहराम कहीं है
कहीं है सन्नाटा पूरा
है रात नशीली
ये शीतल नीली नीली
है तेज सूरज का
सुनहरा लाल पीला
गर सिर्फ दिन ही रहता
सुलझती सारी दिशाएँ
गर सिर्फ रात रहती
ठिठुरती दस दिशाएँ
है भिन्न भिन्न मौसम
हर मौसम का है अपना
रंग और ढंग भी निराला
धरती पर संतुलन का
एक अपना है रिदम
कुछ सीखो कुछ जानो
हे मानव हर कदम
सच्चाई प्रकृति की
मौजूद है हर कण में
तुम्हारे हमारे और
सबके ही भीतर में
भावनाएँ नवरस की
सबका रुख निराला
संतुलन अगर रक्खो
तो मजा ही निराला
मानव देव दानव
ये काया सबका ठेला
गर रखोगे संतुलन
आयेगा मजा निराला !