मिली जन्नत से हमे जब लाड स्नेह में उसके हम फिर फंस गए। मिली जन्नत से हमे जब लाड स्नेह में उसके हम फिर फंस गए।
मेरे मन में कितनी इच्छाएँ, लिए हृदय में पुलक वेदनाएं, मेरे मन में कितनी इच्छाएँ, लिए हृदय में पुलक वेदनाएं,
प्रियतम, आप कुछ दिन यहाँ रहकर मेरे साथ क्रीड़ा कीजिए प्रियतम, आप कुछ दिन यहाँ रहकर मेरे साथ क्रीड़ा कीजिए
हास- विलास प्रवीण रति क्रीड़ा व्याकुल उन्मादी रमणी सी! हास- विलास प्रवीण रति क्रीड़ा व्याकुल उन्मादी रमणी सी!