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अधिवक्ता संजीव रामपाल मिश्रा

Tragedy

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अधिवक्ता संजीव रामपाल मिश्रा

Tragedy

विसंगतियों का सृजन हो रहा

विसंगतियों का सृजन हो रहा

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गुरुकुल से शैक्षिक संस्थान तक,

अविरलधारा के ऐच्छिक कटान तक,

विसंगतियों का सृजन हो रहा,

वैदिकता से विज्ञान तक।

ना गुरु शिष्य पिता पुत्र की पहचान,

न आदर्श विचारों क‍ा आत्मसात,

हर वर्ष टीचर्स डे पांच सितम्बर,

न व्यवहार न शांति न प्रेम न अध्यात्म ।

गुर दक्षिणा सेवा संस्थान पर थी,

दक्षिणा गुरु शिष्य के बीच मांग पर थी।

आज फीस व्यवसाय है आदर नहीं,

वर्त में शिक्षा परिदृश्य भयावह स्थिति,

शिक्षालय अनैतिक अपराधिक गतिविधियां,

फर्जी विश्वविद्यालय कुलपति फर्जी डिग्रियां,

ज्ञानार्जन में संचालित अश्लीलता,

आखिर कहां मर्यादा सुरक्षित सीता,

व्यवसायिकता का प्रारुप बनी शिक्षा,

हां अनुसंधान में सिफारिशें बनी दीक्षा।



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