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"विश्वास"

"विश्वास"

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तेरा मुझे चाहना

मगर न बताना

मन्जुर है मुझे

हकीकत मुझे तेरी

तुझे मेरी पता है

मगर फिर भी छुपाना

मन्जुर है मुझे

कभी गुस्से में

तेरा मुझे डँआटना

तो कभी हक से

मुझ पर प्यार जताना

मन्जुर है मुझे.

कभी तेरा मुझे फालतु बोल देना

तो कभी गम अपने सारे मुझसे बाटँ लेना

मन्जुर है मुझे


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