Amit Kumar
Abstract
विश्वास में
विष भी है
और आस भी है
अब जिस में
जो अधिक होता है
वो वही बटोरता है।
उम्मीद
सदक़ा
नायाब
शिद्द्त
सदा मेरी राहो...
जो तुमने दिया...
सदा के लिए......
तुम चाँद हो स...
पलकों की चिलम...
मेरे शब्द
अपने सम्बंधों पर आवश्यक पुनर्विचार के लिये। अपने सम्बंधों पर आवश्यक पुनर्विचार के लिये।
कबाड़ी समझ उन लोगो को, जो परख सके ना हीरे को। कबाड़ी समझ उन लोगो को, जो परख सके ना हीरे को।
अधिकार के हिस्से में... इंतज़ार के किस्से में... इंतज़ार के इंतज़ार में...! अधिकार के हिस्से में... इंतज़ार के किस्से में... इंतज़ार के इंतज़ार में.....
अब समझना होगा तुम्हें की अब तुम्हे समझने वाला कोई नहीं। अब समझना होगा तुम्हें की अब तुम्हे समझने वाला कोई नहीं।
जिसे दुनिया कभी पूछा ना करे हर बार जिसे अनदेखा करे, देश का है जो शान हो ही है तो कि जिसे दुनिया कभी पूछा ना करे हर बार जिसे अनदेखा करे, देश का है जो शान ह...
यूं विदा हो जाती उमंग रंग भरी होली आंगन में छोड़ जाती प्रेम भरी रंगोली।। यूं विदा हो जाती उमंग रंग भरी होली आंगन में छोड़ जाती प्रेम भरी रंगोली।।
जीवन में आगे बढ़ने का एक नव संदेश सबको दे रहेII जीवन में आगे बढ़ने का एक नव संदेश सबको दे रहेII
या इस सन्डे भी जेल अदालत का भी कोई शेड्यूल आया है l या इस सन्डे भी जेल अदालत का भी कोई शेड्यूल आया है l
हम ज़िंदा रहते हैं और जीते-जीते कई मौत मरते हैं, ज़िंदगी यही है, ज़िंदा रहना और मर हम ज़िंदा रहते हैं और जीते-जीते कई मौत मरते हैं, ज़िंदगी यही है, ज़िंदा ...
कुछ ने मुझे नहीं पहचाना कुछ को मैंने नहीं पहचाना कुछ ने मुझे नहीं पहचाना कुछ को मैंने नहीं पहचाना
तुम्हें अपना मार्गदर्शक लग रहे हैं शुभ चिंतक लग रहे हैं। तुम्हें अपना मार्गदर्शक लग रहे हैं शुभ चिंतक लग रहे हैं।
चारों ओर अंधकार बड़ा था कशमकश में दिल बेचारा चारों ओर अंधकार बड़ा था कशमकश में दिल बेचारा
जो जा चुका उसे वापिस लाना हैं असंभव, जो बचा हैं उसके लिए करो प्रयास हर संभव।। जो जा चुका उसे वापिस लाना हैं असंभव, जो बचा हैं उसके लिए करो प्रयास हर संभव।।
तभी तो पूजते इनके वंशज और सब सकल संसार। तभी तो पूजते इनके वंशज और सब सकल संसार।
हर समय पर ही तो जीवन निर्भर है अब कहां। हर समय पर ही तो जीवन निर्भर है अब कहां।
भटक रहे हैं अब भी कई, उस खजाने की तलाश में। भटक रहे हैं अब भी कई, उस खजाने की तलाश में।
क्या फिर वे मधुर दिन आयेंगे ? क्या फिर वे मधुर मन पायेंगे ? क्या फिर वे मधुर दिन आयेंगे ? क्या फिर वे मधुर मन पायेंगे ?
दौसा को खुशहाल रखना नीलकंठ भोले नाथ। दौसा को खुशहाल रखना नीलकंठ भोले नाथ।
ज़िन्दगी में कही ना कही कुछ तो कमी रह जाती हैं सम्पूर्ण जीवन जीने की कला भला किसे आती ह ज़िन्दगी में कही ना कही कुछ तो कमी रह जाती हैं सम्पूर्ण जीवन जीने की कला भला क...
माँ ही जानत है माँ से ही दुनिया है यह हर बार कहने को मन करता है। माँ ही जानत है माँ से ही दुनिया है यह हर बार कहने को मन करता है।