विरह की पाती
विरह की पाती
बिरहिन पाती लिखती पिया को।
कटते नहीं दिन बिन देखे पिया को।
दूर गए हो जब से प्रियतम।
याद न जाती दिल से हम दम।
रात को मुझको नींद न आए।
काली रतियाॅ॑ मुझे डराएॅ॑।
बदली ये काली डराती है मुझको।
बिरहिन पाती लिखती पिया को।
नैनन में अॅ॑सुआ ढ़रकत हैं।
याद में ये जियारा धड़कत है।
निश दिन पाती लिखूॅ॑ पिया को।
फिर भी चैन न आए जिया को।
क्या याद मेरी भी आती तुझको।
बिरहिन पाती लिखती पिया को।
कब तक मैं दिल को समझाऊॅ॑।
कैसे जिया की आग बुझाऊॅ॑।
पल पल आती याद तुम्हारी।
रह रह कर मुझको तड़पाती।
कौन जतन से पाऊॅ॑ तुझको।
बिरहिन पाती लिखती पिया को।
सावन के झूले तड़पाते।
बारिश के झोंके आग लगाते।
गरज के बादल मुझे चिढ़ाते।
टर्र टर्र कर दादुर मुझे जलाते।
आजा पिया मैं पुकरूॅ॑ तुझको।
बिरहिन पाती लिखती पिया को।

