विरह गीत
विरह गीत
उमड़ -घुमड़ बदरा घिर आए
मन्द पवन भी मल्हार सुनाए
तुम बिन तनिक न झूला भी भाए
क्यों रहे हो कान्हा, देर लगाए ?
दरश तेरे की आस लगाए
लए मोर पंख कर में सजाए
ल्यो आए गई, बौछार भी हाय !
बतलावो कान्हा, काहे न आए ?
दिन भए जबहूँ तुम आए
कहत रहे मोहे समझाए
आउंगो तबहुं सावन घिर आए
फिर काहे रहे हो मोए सताए ?
कोयल कूके पपीहा भी गाए
नाचे मयूर तरू भी हाय !
दीजौ आन मधुर तान सुनाए
पीर हिय की सही न जाए
क्यों रहे हो कान्हा देर लगाए ?