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Reena Devi

Classics

3  

Reena Devi

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विकासशील इंसान

विकासशील इंसान

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साधन समपन्न लोग आजकल

पर संतोष नहीं है

यंत्रों मध्य रहते हरदम

इनका दोष नहीं है।


भावहीन होते यंत्र

इंसा भी भावहीन हुए

लेशमात्र न पछतावा दिल में

प्रेमभाव विलीन हुए।


किसी के किये कार्य का

क्रेडिट ये ख़ुद ले लेते

मिश्री से बोल बोलते उसको

पता न लगने देते।


नशा चढ़ा गुरूर का

स्वयं इनको होश नहीं है

यंत्रों मध्य रहते हरदम

इनका दोष नहीं है।


मृगतृष्णा प्रगति की

पलपल बढ़ती जाए

द्रुतगति से चलते वाहन

इंसा भी दौड़ लगाए।


कुत्सित मानसिकता से देखो

भ्रष्टाचार फैलता जाए

योग्यता को रखते ताक पर

अयोग्य को योग्य बताएं।


पड़ हो चक्कर में दौलत के

ये उन्नति का कोष नहीं हैं

यंत्रों मध्य रहते हरदम

इनका दोष नहीं है।


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