Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Reena Devi

Classics

4.8  

Reena Devi

Classics

विकासशील इंसान

विकासशील इंसान

1 min
217


साधन समपन्न लोग आजकल

पर संतोष नहीं है

यंत्रों मध्य रहते हरदम

इनका दोष नहीं है।


भावहीन होते यंत्र

इंसा भी भावहीन हुए

लेशमात्र न पछतावा दिल में

प्रेमभाव विलीन हुए।


किसी के किये कार्य का

क्रेडिट ये ख़ुद ले लेते

मिश्री से बोल बोलते उसको

पता न लगने देते।


नशा चढ़ा गुरूर का

स्वयं इनको होश नहीं है

यंत्रों मध्य रहते हरदम

इनका दोष नहीं है।


मृगतृष्णा प्रगति की

पलपल बढ़ती जाए

द्रुतगति से चलते वाहन

इंसा भी दौड़ लगाए।


कुत्सित मानसिकता से देखो

भ्रष्टाचार फैलता जाए

योग्यता को रखते ताक पर

अयोग्य को योग्य बताएं।


पड़ हो चक्कर में दौलत के

ये उन्नति का कोष नहीं हैं

यंत्रों मध्य रहते हरदम

इनका दोष नहीं है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics