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Chandramohan Kisku

Tragedy

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Chandramohan Kisku

Tragedy

विज्ञापन युग

विज्ञापन युग

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आजकल कविताओं का

मूल्य नहीं है

गीत-संगीत का भी नहीं

प्यार का तो

थोड़ा सा भी मूल्य नहीं है।


पर मूल्य बढ़ा है अब

उन वस्तुओं का

जो कभी

बिकी नहीं है .

जो अब बिक रही है।


पानी, आग और हवा भी

बिक रही है अब

लोगों का मान -इज्जत

लोगों की भूख।


देह की सभी अंग -प्रत्यंग

यह विज्ञापन का युग है

माँ-बाप की प्यार

और मातृदुग्ध का तो

मूल्य ही नहीं है।


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