वीरों की संतान
वीरों की संतान
वीरों की संतान हो तुम
कायरता कभी न करना
चलीस मारने वालों के
घर पर सितम धरना।
माना उनको वापस
ला न सकेंगे हम
फिर भी उनकी शहादत का
बदला लेकर रहना।
छप्पन इंची सीने की
शान बनाये रखना
माँ भारती के लालों की
आन निभाते चलना।
सर कुचल कर रख दो
इन आस्तीन के साँपों का
ऐसे ही अंत होगा
इन पापियों के पापों का।
भारत माँ के दुश्मन के लिये
ढाल नहीं तलवार हैं हम
अंबर से धरा तक
खूँ से लाल कर देंगे,
ओ पाक तेरे नापाक इरादों का
कत्ल हम कर देंगे
जो शहीद हुए हैं वतन के लिये
उनका क़र्ज उतार कर रख देंगे।।
