समय का शायर
समय का शायर
समय का शायर हूँ ,मैं।
समय की शायरी करता हूँ।
अपने हक की लड़ाई के लिए,
अहिंसक क्रांति की भूमि तैयार करता हूँ।
बीज मैं नफरत की बोना नहीं जानता,
न यूं ही बस हंगामा खड़ा करना हमारा मकसद है।
हमारी तो शायरी उन बेआवाजों की आवाज़ है,
जिनकी सूरत को बदलते हुए देखना हमारी हसरत है।
मैं समय का शायर हूँ,
समय की शायरी करता हूँ।
अपने अधिकारों को लड़कर लेने के लिए,
बहरी कानों तक अपनी आवाज़ पहुँचाने के लिए,
सड़क से संसद तक की सफर करता हूँ।
अधिकारों के साथ- साथ अपनी कर्तव्यों का भी भान रखता हूँ।
संविधान को जीवंत दस्तावेज के रूप में उसका मान रखता हूँ।
उस पावन ग्रंथ को ही आधार मानकर अपनी हौसलों की उड़ान चुनता हूँ।
समय का शायर हूँ मैं, अपनी समय की शायरी करता हूँ।