मानवता हार गई
मानवता हार गई
इस जमाने में कौन है और ऐसा कौन है
जो मानवता को जिंदा रखने के लिए है
सब अपनी खुमारी और अपनी अय्याशी में डूबे हुए हैं
किसी को शासन की दरकार है
तो किसी को पैसों की दरकार
अरे मानवता तो मर रही
कौन
किसका
प्यासा किरदार है
फिर भी इस जमाने में
किसी को समझाना बेकार है
क्योंकि सब की अति हो चुकी है
और मानवता डूबती जा रही है
शब्दों में बयां करना सार्थक नहीं
फिर भी यह बात सच है
मानवता मरती जा रही है
बहरूपिया जैसे लोग
देश के शासन पर सत्तारूढ़ है
उन्हें मानवता से कोई सरोकार नहीं
बस अपना शासन ही सब कुछ है
लेकिन याद रखो इस धरा पर कोई भी शाश्वत नहीं है
आज नहीं तो कल
और कल नहीं तो परसों
कुछ नया तो होगा
कौन है जो मानवता को जिंदा रखेगा
वही शाश्वत होगा।
