अपना स्वरूप मैं स्वयं
अपना स्वरूप मैं स्वयं
मन भावन जीवन होता है
ये ह्रदयंगम ही प्यार है
खुली तस्वीर मै आज बनाता
अपना स्वरूप मै स्वयं बनाता
प्यार बहे, सत्कार रहे
विश्वास जये, मानव सहे
यह रुप जगत दिखलाता हूं
अपना स्वरूप मैं स्वयं बनाता हूं
यह हार भी है, यहां ख़ुशी भी है
ये रंग बिरंगा,भई जीवन सावन है
जिसको देखे वे तड़प रहे हैं
फिर भी जीवन हांक रहे हैं
शिकस्त चेहरे पर बनी हुई है
पर, संदेसा मानवता दे रहा है
चाहे जीवन मैं हार भी जाऊं
पर स्वरूप नहीं उतरने दूंगा
मैं मरते हुए मैं भी जीवन दूंगा
अपना स्वरूप में स्वयं बनाउंगा
जीवन यायावरी का सपना है
सच कहूं यही अपना है
जीवन खुली किताब का दृश्य है
क्यों?
मैं अपना स्वरूप स्वयं बनाता हूं।