वीरभद्र
वीरभद्र
वीरभद्र अलग नहीं
शंभू के ही सम कहीं।
भोले पालनहार है
करते सबका उद्धार है।
कुपित जो हो जाए कहीं।
तो देंगे दंड वीरभद्र रूप में ही।
वीरभद्र सम कोई वीर नहीं
अजेय हैं हारेंगे कभी नहीं।
शंभू की शक्तियों को जाने सारा संसार है।
दंड देने के लिए सेनापति बने हैं वीरभद्र ही।
शंभू का ही रूप वह शंभू का अवतार है।
शंभू के ही सम उसमें शक्ति भी अपार है।
शंभू ने स्वयं ही पापियों को दंड देने के लिए
वीरभद्र रूप में लिया अवतार है।
वीरभद्र ही शंभू है, काल के भी काल हैं।
वीरभद्र रूप को मधु वशिष्ठ का नमस्कार है।
