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PRATAP CHAUHAN

Tragedy Thriller

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PRATAP CHAUHAN

Tragedy Thriller

वीरान गली

वीरान गली

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अटटहास करते हर शहर की गली, 

एक अर्से से वीरान गली हो गयी है।

जब से कोरोना का कहर हुआ है, 

जिंदगी में खलबली सी हो गयी है।


इस लॉकडाउन में घूमने फिरने का, 

कहीं किसी को मौका नहीं मिलता।

हद से ज्यादा शांत हो गयी है दुनियाँ, 

लगता है अब कहीं पत्ता भी नहीं हिलता।


आसमान में उड़ते हवाई जहाज नहीं दिखते, 

अब दुकानों पर सामान भी बिंदास नहीं बिकते|

ग्लब्स सैनिटाइजर जो डॉक्टरों तक सीमित था,

आज वह दैनिक प्रयोग हेतु अनिवार्य हो गया है।


मुंह पर मास्क लगाए लगाए बहुत समय हो गया, 

लगता है ईश्वर का आदेश अब प्रतिकार्य हो गया है

घरों में कैद हो गयी है ये सरस जिंदगी, 

खुले आसमान का दीदार कम हो गया है।


लजीज खाना उन मशहूर रेस्तरां का, 

अब तो सिर्फ और सिर्फ एक भ्रम हो गया है

सड़कों पर होने वाला घमासान ट्रैफिक, 

अब तो एक गुजरा इतिहास हो गया है


देख देख कर टीवी सीरियल प्रतिदिन,

अब थियटरों का वजूद ही भूल गये हैं।

एक ही कमरे में बैठे बैठे हम सभी,

मौहल्ले वासियों के चेहरे भी भूल गये हैं।


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