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Dr. Madhukar Rao Larokar

Classics

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Dr. Madhukar Rao Larokar

Classics

विद्यालय और वृद्धाश्रम

विद्यालय और वृद्धाश्रम

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मांगी थी इक दुआ

जो कुबूल हो गयी।

खुदा की नजरें, इनायत हुई

और किस्मत बेटा दे गयी।


बाप ने बेटे की उंगली पकड़

चलना, दौड़ना, सिखाया, ख्याल रखा।

वक्त आया तो, स्कूल जाकर

बेटे का प्रवेश, करा आया।


बेटा समय के साथ साथ

बड़ा हुआ ,योग्य बना।

उसे लायक बनाने, बाप ने क्या

क्या और कितना, त्याग किया।


बाप ने अपना सुख चैन

अपने दिन रात खपा दिया।

बेटा बड़ा होकर, बड़ा पद

पाया, बाप का मान बढ़ाया।


बेटे का विवाह हुआ, बहू

बाप को समझने, लगी फालतू बोझ।

आदेश दिया पति को, वृद्धाश्रम

ठीक रहेगा, यह थी उसकी सोच।


बेटा करे तो क्या करे

बाप की सेवा या पत्नी का माने आदेश।

बाप पर बहू पड़ी जबर,

बाप का करा दिया वृद्धाश्रम में प्रवेश।


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