विदाई
विदाई
जब लाल जोड़ा पहन कर मेरी बहन आई होगी
बहन ने सोचा होगा, आज उसकी विदाई होगी,
कुछ नमी उसकी आंखो में भी आई होगी
किस कदर उसने मुस्कान के पीछे अपनी उदासी छिपाई होगी,
मंडप पर जब हाथ बाबा का छूटा होगा
किस तरह बहना ने खुद को रोने से रोका होगा
जब कन्यादान बाबा ने किया होगा,
रोते बाबा को देख, आसूं उसकी आंख से भी वहा होगा।
वक्त जब विदाई का हुआ होगा,
उसने पलट कर उस आंगन में अपने बचपन को देखा होगा,
जो भाईकल उससे झगड़ता था ...
आज उस भाई को एक कोने में खड़े रोते देखा होगा,
जब मां ने आंखों में आसूं भर उसे सीने से लगाया होगा,
बाबा ने मुस्कुरा कर बहना के सिर को थपथपाया होगा
खुश रह मेरी बेटी कहकर, बाबा ने जब उसे डोली में बिठाया होगा,
मेरी बहन ने तड़प कर बाबा का हाथ थामा होगा।
छूटा बाबा का हाथ, तुझे ससुराल को अपनाना होगा
बाबा ने उसे समझाते हुए, उससे अपना हाथ छुड़ाया होगा,
कैसे मेरी बहन ने बहते आंसुओ को रोका होगा,
जब उस विदाई के वक्त, बाबुल के आंगन की छूटते देखा होगा
किस किस ने उस बिटिया की विदाई पर नम आंखों से उसे विदा किया होगा।।
