हर नज़र ने कुछ अलग देखा..
हर नज़र ने कुछ अलग देखा..
हर नजर ने फर्क देखा,
किसी ने भीड़ में छिपे खूबसूरत चेहरे को देखा
किसी नजर ने सादगी के पीछे छिपी खूबसूरती को देखा..
किसी ने खिलखिलाहट में तकब्बुर देखा
किसी ने खिले लबों के पीछे छिपे गम को देखा
किसी ने उन आंखों में छिपे वहशियत को देखा
किसी ने खाली आंखों में छिपे अनगिनत आंसुओं को देखा।
किसी ने सिसकियों के पीछे छिपी नौटंकियों को देखा
किसी ने ख़ामोशी के पीछे छिपी सिसकियों को देखा
किसी ने शांति में आवेश को देखा,
किसी ने उन गुस्सैल आवाजों की पीछे छिपी शांति को देखा ...
किसी ने मासूमियत में मुखौटे को देखा,
किसी ने एक पत्थर दिल के तह में छिपी मासूमियत को देखा
नज़र नज़र का फर्क है हर नज़र ने कुछ अलग देख।।
