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Sangeeta Ashok Kothari

Abstract

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Sangeeta Ashok Kothari

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विदाई

विदाई

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हरेक लड़की की ज़िन्दगी की यही कहानी,

पालो, पोसों, पढ़ाओ फिर कर दो शादी।


वैसे वक़्त के साथ रीतियाँ, प्रथाये बदली,

अलग-अलग तौर तरीकों से शादियाँ होती।


बच्ची की पूरी ज़िन्दगी आँखों में तैर जाती,

जब कन्यादान के बाद आती विदाई की बारी।


दान दहेज़ में लिपटी विदाई की घड़ी सबसे महंगी,

जिसमें न्योछावर माँ-बाप की ज़िन्दगी भर की पूँजी।


त्याग, समर्पण व बलिदान की गाथा हैं लड़की,

दूसरों का वंश रोशन करने अपना घर छोड़ती।


विदाई होते ही वो अपना उपनाम छोड़ देती,

एक नये कुनबे में औरों की ख़्वाहिशें ओढ़ लेती।


दो-दो कुलों को रोशन करना आसान नहीं,

माँ बाप व अपनों की आँखों में अश्कों की गँगा बहती।


मेरी एक बात गांठ बाँध लो जब करते हो विदाई,

प्रेम, समर्पण रखो पर अन्याय हो तो सहो नहीं।



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