विचार-पत्र
विचार-पत्र
सच अति कड़वे हैं दुनिया में,बयां का नहीं कलेजा
दर्द उड़ेल दिया था खत में,मगर नहीं हमने उसे भेजा।
टन भर -मन भर सोचते रहते,पर लागू न कर पाते हैं
समय रेत सम हाथ से फिसले, केवल फिर पछताते हैं।
दोष सदा औरों को देते, किस्मत की कमी बताते हैं
नहीं सीख इतिहास से लेते,गर्त में हम गिर जाते हैं।
विशिष्ट प्रयोजन साधने को प्रभु ने,है हमें जगत में भेजा
सच अति कड़वे हैं दुनिया में।
लिखे पत्र को भेजेंंगे ना हम , फिर मंजिल अपनी कैसे वह पाए
नियोजन कार्यान्वित नहीं किया तो, लक्ष्य हमें कैसे मिल जाए ?
समाधान हर प्रश्न का मुमकिन,अगर नियोजित कार्य सही
निश्चित रूप से मिले सफलता, अगर-मगर का कोई प्रश्न नहीं।
सभी समस्याएं हल होंगी, असफलता का कोई नाम नहीं
लाख योजनाएं बना लीं हमने।
खत हैं एक सहारा जिनसे ,हम -सब अपने भाव बताते हैं
कुछ के भाव दफ़न हो दिल में,व्यक्त ही नहीं हो पाते हैं।
भावों को पत्र रूप देने का, साहस कुछ लोग जुटाते हैं
पर अक्सर वे ऊहापोह में,वे बिन भेजे रह जाते हैं।
लक्ष्य तभी हो सकेगा पूरा, जब उचित समय पर भेजा
सच अति कड़वे हैं दुनिया में।
नैसर्गिक जो विचार हो मन के, पर सबके हितकारी हैं
दु:ख और दर्द मिटाने वाले, और सबकी पीड़ाहारी हैं।
प्रेषित कर दें सब विचार वे अपने, निर्णय ये हितकारी है
न करें प्रतीक्षा एक भी पल हम, हरदम आपकी बारी है।
शुभ विचार जमकर फैलाएं, पाया यहीं -यहीं सब दे जा।
सच अति कड़वे हैं दुनिया में