Brijlala Rohan

Romance Classics Inspirational

4.5  

Brijlala Rohan

Romance Classics Inspirational

वह मुस्कुराती----

वह मुस्कुराती----

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वह मुस्कुराती सुनसान पथ पर,

देखा मैंने सवार उसे प्रेम के रथ पर।

पलकें गिरायी, नजरे छुपायी              

स्वर्ग की अप्सरा, इन्द्रलोक की प्यारी परी- सी          


वह चले जा रही थी अकेली

सुनसान पथ पर           

देखा मैंने सवार प्रेम के रथ पर !                   

वह मुस्कुराती----------   

रूप निखर रहा था उसका मानों ,

नई- नवेली दुल्हन आई हो सज-धजकर             

चेहरे की चमक, होठों की सुमधुर मुस्कान             


देखकर उसे जैसे सुखी फुलवारी में

आ गई हो हरियाली भरी जान, 

वह चले जा रही थी,

मुझे बार-बार-बार तककर ! 


देखा मैंने सवार उसे प्रेम के रथ पर          

वह मुस्कुराती------- 

वह मीच रही थी आँखे हँसकर         

मेरी निगाहें उसकी कातिल नयनों के बीच

रह जाती फँसकर, नजरें टिक जाती

उसी पे बार-बार बहकर       

वह देखती मुझे बच -बचकर                     

वह मुस्कुराती----------


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