वह मुस्कुराती----
वह मुस्कुराती----
वह मुस्कुराती सुनसान पथ पर,
देखा मैंने सवार उसे प्रेम के रथ पर।
पलकें गिरायी, नजरे छुपायी
स्वर्ग की अप्सरा, इन्द्रलोक की प्यारी परी- सी
वह चले जा रही थी अकेली
सुनसान पथ पर
देखा मैंने सवार प्रेम के रथ पर !
वह मुस्कुराती----------
रूप निखर रहा था उसका मानों ,
नई- नवेली दुल्हन आई हो सज-धजकर
चेहरे की चमक, होठों की सुमधुर मुस्कान
देखकर उसे जैसे सुखी फुलवारी में
आ गई हो हरियाली भरी जान,
वह चले जा रही थी,
मुझे बार-बार-बार तककर !
देखा मैंने सवार उसे प्रेम के रथ पर
वह मुस्कुराती-------
वह मीच रही थी आँखे हँसकर
मेरी निगाहें उसकी कातिल नयनों के बीच
रह जाती फँसकर, नजरें टिक जाती
उसी पे बार-बार बहकर
वह देखती मुझे बच -बचकर
वह मुस्कुराती----------