वफ़ा
वफ़ा
रात के अंधेरों में ढूँढता है एक शख्स वफ़ा,
रोया भी है उन्हीं रातों में धोखा खाकर कई दफ़ा,
उसने जिन पर विश्वास किया उन्हीं ने उसे रुलाया,
उसके दुःख में उसके आंसू पोंछने कोई नहीं आया,
बस ढूँढता है वो एक दोस्त ईमानदार,
जो उसे सच्चे मन से निःस्वार्थ करे प्यार,
रात के अंधेरों में ढूँढता है एक शख्स वफ़ा,
एक ऐसा इंसान चाहिये उसे जो उससे कभी न हो खफ़ा,
अब तक अकेलापन ही था उसका साथी सच्चा,
कभी नहीं मिला उसे कोई दोस्त अच्छा,
रात के अंधेरों में ढूँढता है एक शख्स वफ़ा,
विश्वास है ईश्वर ने कोई तो बनाया होगा
उसका भी राज़दार भले ही टूटा है वो कई दफ़ा,
रात के अंधेरों में ढूँढता है एक शख्स वफ़ा।