STORYMIRROR

Rashmi Sthapak

Classics

4  

Rashmi Sthapak

Classics

वातायन

वातायन

1 min
212

वातायन में याद के,

कोई आया रात।

छेड़ गया चुपचाप से,

भूली-बिसरी बात।।


ओठों की ख़ामोशियाँ,

आँखों के संवाद। 

रह-रह कर थे आ रहे,

वो पल-छिन सब याद।।


दूर समंदर पर कहीं,

लहरों का था शोर।

सर्द-सर्द सी रेत पर,

मिला वहीं चितचोर।।


नजरों में आकर रुकी,

एक सुहानी शाम।

मौसम की सरगोशियाँ,

अनबोले पैगाम।।


चुपके से कुछ बोलती,

गर्मी वाली रात।

खत्म कभी होती नहीं,

बेमतलब-सी बात।।


यादों की दुनिया अलग,

अलग है इनकी रीत।

भूले से कब भूलती,

पहली-पहली प्रीत।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics