ऊंचा उठो
ऊंचा उठो
पर्वत बन
कंकड़ों की तरह
ना इधर-उधर बिखर
मिट्टी में धूल बनकर
ना उड़ता-फिर
मुश्किल है डगर
अगर-मगर मत कर
लम्बा है सफ़र
वक़्त की कर कदर
ऊंचा उठ
ना बिखर
धैर्य की कूंजी
आत्मविश्वास की पूंजी
शुभ संकल्पों को धारण कर
लक्ष्य को आत्मकेंद्रित कर
दृगबिंदू से अपना नाता सच कर
अपनी पहुंच पर गर्व कर
ए मनुष्य तू ही फहराएगा
शाश्वत सत्य की ध्वजा पताका
पहाड़ बन ऊंचा उठ...