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Sandeep Kumar

Drama

3  

Sandeep Kumar

Drama

उस समय में खो जाता हूं

उस समय में खो जाता हूं

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एक समय था तब ,जब

कुछ ना सोचा करते थे

दो वक्त की रोटी खाकर

घुम फिर करते थें।


मां के नाकों दम कर के

पापा से पैसा लेते थे

दोस्त मित्र के संग चल

नाश्ता पानी करते थे।


आज उसी समय के लिए

सपनों में खो जाता हूं

भागदौड़ के जीवन को

जब आंखों देखा करता हूं।


समय को बदलते देख

समय का महत्व देता हूं

दिन रात एक कर

अपना काम करता हूं।


फिर भी नहीं काम पूरा

समय से कर पाता हूं

बॉस की डांट सुनकर

उस समय में खो जाता हूं

उस समय में खो जाता हूं।


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