Unmask a web of secrets & mystery with our new release, "The Heel" which stands at 7th place on Amazon's Hot new Releases! Grab your copy NOW!
Unmask a web of secrets & mystery with our new release, "The Heel" which stands at 7th place on Amazon's Hot new Releases! Grab your copy NOW!

yogita singh

Tragedy

3  

yogita singh

Tragedy

उस रात....

उस रात....

1 min
173



मै रो रही थी बिलख रही थी

उस रात जिस रात तुमने साथ छोड़ा था 

वादा किया था निभाने का पर

कर के वादा तुमने साथ छोड़ा था 

तुमने बोला था जब मेरी जुल्फे बिखरेंगी

उन्हें सुलझाओगे तुम

अगर दुखेगा सिर मेरा दबाओगे तुम

कभी जो देर तक सोई रही तो

एक चाय के साथ जगाओगे तुम

और हां याद है वो बात तुमको ....

जब तुमने कहा था 

जब मै जाऊ दफ्तर अपने तुम मेरा माथा चुमना

घर पर आऊ तो तुम श्रृंगार किए हुए दरवाजे पर मिलना !


और हां ये भी तो कहा था ना तुमने कि

घर वालों को मै मना लूंगा 

जो ना माने तो तुम्हे घर से भगा लूंगा 

तेरी ख़ुशी की खातिर जग से टकरा लूंगा


क्या हुआ याद है तुमको वो वादे जो तुमने

मुझे अपनी आगोश में ले के किए थे

या फिर दिन उजालों में रातों में की गई बातें

भूल गए जो वचन तुमने मुझे दिए थे


अब छोड़ गए क्यू तन्हा अकेले रातों में को

आसुओं से इन रातों मै पकल भिगोने को

टूटे दिल के टुकड़े खुद से ही बटोरने को


चाहती हूं मिल जाओ एक बार 

करनी है तुमसे कुछ बात 

क्यों छोड़ गए खता क्या थी 

मेरी वफ़ा में आखिर कमी क्या थी!



Rate this content
Log in

More hindi poem from yogita singh

Similar hindi poem from Tragedy