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yogita singh

Tragedy

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yogita singh

Tragedy

उस रात....

उस रात....

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मै रो रही थी बिलख रही थी

उस रात जिस रात तुमने साथ छोड़ा था 

वादा किया था निभाने का पर

कर के वादा तुमने साथ छोड़ा था 

तुमने बोला था जब मेरी जुल्फे बिखरेंगी

उन्हें सुलझाओगे तुम

अगर दुखेगा सिर मेरा दबाओगे तुम

कभी जो देर तक सोई रही तो

एक चाय के साथ जगाओगे तुम

और हां याद है वो बात तुमको ....

जब तुमने कहा था 

जब मै जाऊ दफ्तर अपने तुम मेरा माथा चुमना

घर पर आऊ तो तुम श्रृंगार किए हुए दरवाजे पर मिलना !


और हां ये भी तो कहा था ना तुमने कि

घर वालों को मै मना लूंगा 

जो ना माने तो तुम्हे घर से भगा लूंगा 

तेरी ख़ुशी की खातिर जग से टकरा लूंगा


क्या हुआ याद है तुमको वो वादे जो तुमने

मुझे अपनी आगोश में ले के किए थे

या फिर दिन उजालों में रातों में की गई बातें

भूल गए जो वचन तुमने मुझे दिए थे


अब छोड़ गए क्यू तन्हा अकेले रातों में को

आसुओं से इन रातों मै पकल भिगोने को

टूटे दिल के टुकड़े खुद से ही बटोरने को


चाहती हूं मिल जाओ एक बार 

करनी है तुमसे कुछ बात 

क्यों छोड़ गए खता क्या थी 

मेरी वफ़ा में आखिर कमी क्या थी!



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