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Rooh Lost_Soul

Romance

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Rooh Lost_Soul

Romance

उफ्फ़ ये धड़कन

उफ्फ़ ये धड़कन

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उफ़्फ़ ये धड़कन भी न.....

तुम्हें हर रोज़ इतना क्यों सताती है ,

जो पास आ नहीं सकती,

तो फिर क्यों इतना तड़पाती है।

कोई वज़ह भी तो , बेवजह नहीं होती,

क्यों समझते नहीं इस बात को ,

वो तुमसे मिलने की ख्वाहिश इस दिल मे भी उतनी ही है,

जितनी रोशनी तुमने उस रात चाँद में देखी थी ।।


बस क़रीब न आ पाना,

किस्मत का खेल है,

और तुम ही नही हम भी बस

इस बिसात पर दो अलग रंग है ।

हाँ देखती हूँ जब जब आईने में खुद को,

वो तेरी छुअन गालों पर महसूस करती हूँ ।

ना चाहते हुए भी तेरे पोरो को छूने की कोशिश में

अपने ही गालों को बारबां छू लेती हूँ ।


खुली जुल्फ़े मेरी तुम्हें पसंद है,

जानती हूँ मैंं इस राज को,

मगर तुम यहाँ नहीं हो मेरे हमदम

तो इन्हें अब खुला नहीं रखती हूँ।

बस वो एक लट मेरे बालों की,

तुझसे मिलने की कसक लिए,

हर बार मेरे चोटी से निकल आती है ।

और मैं ना चाहते हुए भी ,

तेरे आने की एक आस

आज भी दिल मे दबा जाती हूँ ।।


ये कमबख़्त धड़कन भी न....

तेरे नाम पर आज भी धड़क जाती है ।।।।


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