उपहार
उपहार
मेरी बीबी का जब जन्म दिन आया,
उसने तुरंत फोन लगाया
जी कब आओगे मेरे लिये क्या गिफ्ट लाओगे।
मैं भी बुदबुदाया क्या लाऊं
जब से तू आई है, मेरे जीवन में बहार छाई है
सिर्फ बीबी ही नहीं तू तो मेरी परछाई है।
बीबी जोर से चिल्लाई,
हर साल ऐसे ही मक्खन लगाते हो
और रात को खाली लौट आते हो।
पति ने लेप लगाया क्या लाऊँ
तुम खुद खूबसूरत नजराना हो,
मेरी खुशी का एक बहाना हो,
मेरे चेहरे पर खिले फूल की मुस्कान हो,
तुम्हें पाकर फूल सा खिलता हूं,
जल्दी ही रात को मिलता हूं।
बीबी ने शुरू किया धमकाना
खाली हाथ मत आना,
कम से कम सोने की अंगूठी ले आना।
मैंने भी कह दिया
फूलों सा जीवन महके तेरा
खुशियां चूमे हर कदम तेरा
जब हुई थी सगाई, अंगूठी एक है आई,
आप वो ही उपहार समझ कर डाल लेना
और डालते वक्त नाम मेरा ले लेना।
अंगूठी तो क्या आप के लिये
हाजिर भी है जान
तेरे कारण तो होती है मेरी पहचान।
मैं बैलून और मोमबत्ती भी ला रहा हूं
बस शीघ्र ही आपके पास आ रहा हूं,
तू घबरा मत जाना, इस बार गिफ्ट तो जरूर मिलेगा
मत समझना मुझे बेगाना ।
मैंने दरवाजा खटखटाया
बीबी ने हाथ हिलाया, मेरे लिये क्या लाया,
मैंने सिर हलाया
तोहफा नहीं लाया हूं
मैं सिर्फ दुआएं लाया हूं
मैं कवि हूं कोई महल नहीं ला सकता हूं,
खुशी सिर्फ शब्दों में जता सकता हूं,
पड़ी है अंगूठी सगाई की जो
वो आपको पहना सकता हूं।