उम्र की ढलान पर
उम्र की ढलान पर
साथ हमारा कायम है उम्र की ढलान पर।
प्यार बना हुआ है थकान के निशान पर।
दोनों बहुत खुश, किसी की जरूरत नहीं,
यह बंधन टिका है, विश्वास सम्मान पर।
जीवन के हर सुख दुख में हाथ थामे रहे,
अपनी मुश्किलें भूलते मोहक मुस्कान पर।
क्षणिक दूरी की सोच भी सिहरा जाती है,
आंख में बसे रहो और नाम हो ज़बान पर।
हमने मकान को घर बनाने में की तपस्या,
जी भर दुआएं वार दी अपनी संतान पर।
खर्चो में कटौती की उनके सपनों के लिए
चढ़ते हुए देखा उन्हें उन्नति के सौपान पर।
जीवन के अंतिम सफर तक संग चलते रहे
समय बिताते रहे जगत के कल्याण पर।

