गुरू को नमन
गुरू को नमन
ज्ञान से संचित उपवन को,
शिष्यों को देकर दान में।
जिनका दर्जा ऊंचा इतना,
हर जगह सम्मान में।
यदि ईश और गुरु खड़े हों,
गुरु बड़े हैं मान में।
करे आदर सदा उनका ,
उनकी बातें रखे ध्यान में।
आदर्शों की सीख उनकी,
गुंजित हो संसार में।
कच्ची माटी को बनाएं,
जो नए आकार में।
पढ़ - लिखकर कर सकें
आकाश में अपना नाम
गर्व हो देश समाज को
पा सके ऐसा मुकाम।
हम आज करते गुरु को
बार--बार नमन और प्रणाम।