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डॉअमृता शुक्ला

Inspirational

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डॉअमृता शुक्ला

Inspirational

हार मान मत थकना

हार मान मत थकना

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जाने कैसे कहीं अचानक ,

घट जाती है घटना।

जीवन तो चलता रहता है,

हार मान मत थकना ।

प्रकृति पर चोट करता,

अब तो मानव जगना ।

नित्य उसकी अनदेखी ,

हो जाती ऐसी घटना।

बीत गया यह साल अजब सा

देखा सुना न समझा

कुछ पल हंसी व ग़म के झेले 

अनुभव पाया कम था

अब हो जो सब नया शुभ हो

करते यही कामना

इस बारी और हरेक बार

सुख का हाथ थामना ।


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