हार मान मत थकना
हार मान मत थकना
जाने कैसे कहीं अचानक ,
घट जाती है घटना।
जीवन तो चलता रहता है,
हार मान मत थकना ।
प्रकृति पर चोट करता,
अब तो मानव जगना ।
नित्य उसकी अनदेखी ,
हो जाती ऐसी घटना।
बीत गया यह साल अजब सा
देखा सुना न समझा
कुछ पल हंसी व ग़म के झेले
अनुभव पाया कम था
अब हो जो सब नया शुभ हो
करते यही कामना
इस बारी और हरेक बार
सुख का हाथ थामना ।