क्षणभंगुर
क्षणभंगुर


कल तक डाली पर मुस्काता था।
नित प्रभु के शीश पर इतराता था।
आज ज़रा सी हवा तेज जो बही ,
मैं कोमल फूल पंखुड़ी बिखर गयी।
यही तो जीवन की क्षणभंगुरता है,
आज चलायमान कल स्थिरता है।
खुश होकर जियो जो मिला आज,
शिकायत न करो,करते रहो काज।
कल तक डाली पर मुस्काता था।
नित प्रभु के शीश पर इतराता था।
आज ज़रा सी हवा तेज जो बही ,
मैं कोमल फूल पंखुड़ी बिखर गयी।
यही तो जीवन की क्षणभंगुरता है,
आज चलायमान कल स्थिरता है।
खुश होकर जियो जो मिला आज,
शिकायत न करो,करते रहो काज।