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डॉअमृता शुक्ला

Inspirational

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डॉअमृता शुक्ला

Inspirational

क्षणभंगुर

क्षणभंगुर

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कल तक डाली पर मुस्काता था। 

नित प्रभु के शीश पर इतराता था। 

आज ज़रा सी हवा तेज जो बही , 

मैं कोमल फूल पंखुड़ी बिखर गयी। 

यही तो जीवन की क्षणभंगुरता है, 

आज चलायमान कल स्थिरता है। 

खुश होकर जियो जो मिला आज,

शिकायत न करो,करते रहो काज।



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