गुलदस्ता
गुलदस्ता
1-नन्हें बच्चो तुम्हें पालना हैएक सुरक्षित घोंसला तानना है।
ऊंचाई में उड़कर दाना लाना है,
कठिनाई का करना सामना है।
जब पंख आ जाएँगे तुम्हारे,
तब तुम उड़कर जाओगे किनारे ।
मैं यहाँ अकेली रह जाऊँगी,
तुम्हारा रास्ता देख पाऊँगी।
2-माँ मत रोओ, मैं तेरे आँसू पोंछ देता हूँ।
बना रहूँगा संग तेरे,मैं तेरा अच्छा बेटा हूँ।
अभी समय ठीक नहीं,ये जरूर बदलेगा,
ज्यादा समझ नहीं है,बस इतना कहता हूँ।
3-पता नहीं,
मन क्या चाहता है?
शोर से बेचैन होता,
अकेलेपन से घबराता है।
तुम्हारा हूं सदा ये जताता है
फिर कहीं गुम हो जाता है।
ढूंढती हूं जो कहीं उसे,
यादों के अबांर में नज़र आता है।
नियति होती है मिलना बिछड़ना,
कुछ देर में मुझसे मिल पाता है।
4-तुमसे दुनिया है मेरी तुमसे आंखों में सपने,
कोई साथ रहे न रहे तुम सदा रहना अपने ।
5-सामने तुम्हारा चेहरा है हमारे बीच मौन पसरा है,
जाने कितनी देर से ऐसे ही बिना संवाद के वक्त ठहरा है।
6-जो दूर तक साथ निभाए वो दोस्त है।
मन की बात समझ पाए वो दोस्त है।
वक्त के रेले में बिछड़ जो दोस्ती टूटे,
उसको ढूंढ कर ले लाए वो दोस्त है।
7-दोस्तों से रिश्ता इसलिए निभता है।
जब दोनों ओर से फासला घटता है।
जब एक चलकर दूसरे तक पहुँचता,
दूसरे को भी वहाँ तक चलना पड़ता है।
8-ज्योतिष, हाथ की रेखाएं,
रत्न, सोने - चांदी की मालाएं,
अंगूठियां और कितने टोटके,
आगे जाने से क्यों हैं रोकते।
कभी मन में ये विचार किया है,
अपनों की कही बात का सार गहा है।
ईश्वर पर हो आस्था, करो बडों का आदर,
इच्छाएं पूरी होंगी बिछा दो प्यार की चादर।
सच यही है कि जीवन सफलतम होगा,
उन्नति की शिखर पर हर एक कदम होगा ।
नसीब से मिलतीं हैं आशीर्वाद और दुआ
मुमकिन हो जाएगा सब, जो अब न हुआ।
9-बचपन से शुरू हुआ था एक सफर।
जवानी आई सवार होकर सपनों पर।
बुढापे की निशानियाँ उभर गई अब तो,
आईना बताता,कैसे बीती इतनी उमर।
10-उम्र बढ़ती जाती है,नींद घटती है,
फिर जीने की चाहत सिमटती है।
नज़र धुँधला रही,सांस कुम्हला रही,
ज॔रा सी आहट, हो तो खटकती है।
आज में जीते कल की चिंता बनी
अतीत की यादें पास में भटकती हैं।
11-क्या मांगें हम प्रभु तुमसे।
आशा के दीपक बुझते।
हम तो सदा सहारे तेरे।
फिर मत रहियो आंखें फेरे।
जग में जो जैसा करता है,
फल उसको वैसा मिलता है।
जीवन में नेक काम करो तो,
शांति भक्ति से मन रचता है।
पूजन अर्पन करें सवेरे।
फिर मत रहियो आंखें फेरे।
जब तक सासें चलती रहतीं,
तब तक माया फूले फलतीं।
क्षमा मांगते नित्य प्रति हम,
हो जाए यदि कोई गलती।
तुम दाता हम याचक ठहरे।
फिर मत रहियो आंखें फेरे।
12-प्यार बांटकर ही प्यार निभाना है।
आंखों से आंसुओं.को हटाना है।
दूर हो जाओ तो याद आते रहो
भूल जाने का नहीं ज़माना है।
कब तक दिल में बात रख्खोगे।
किसी से तो सच बताना है।
इस तरह तन्हा मत फिरा करो
ढूंढ लो मिल जाए जो ठिकाना है।
लोग अपनी अपनी तरह सोचेंगे
यह हकीकत है या ये फ़साना है।
13-घर के हर कोने में बस खामोशी है छाई सी।
डर है मैं कहीं तस्वीर न बन जाऊं तन्हाई की।
आने वाले से न पूछो जाने का अंदाज है क्या,
आने-जाने की ये बातें होती हैं परछाईं सी।
आंखों से आंसू न पोंछों,इनको यूं बह जाने दो,
अपनों की दी तकलीफों से मैंने यही कमाई की।
छोटी सी बातों पर जिसने हमसे रिश्ता तोड़ा
उसके सपनों की बस्ती हमने कभी बसाई थी
बरगद की छांव छिन गई जिसपे हम इतराते थे,
अब वो ठंड़क नहीं,जो हमने बरसों पाई थी।
सांसों का चलना ही जीवन का सारांश नहीं
पता भी न चल पाएगा मौत जब लेने आएगी।
14-प्रेम और विश्वास नींव में,मर्यादा की हो दीवार,
आदर्शों की छत के नीचे झेल सके जीवन के वार।
सच्चाई की सरगम पर,अपनेपन का गीत बजे,
निष्ठावान रहे जीवन में,दुल्हन जैसी प्रीत सजे।
शक का द्वार बंद रहने दें,सबको मन की कहने दें,
जब तक सीमा के अंदर हो,थोडी़ मन की करने दें।
केवल रिश्ता ही जुड जाना,है घर की आधार नहीं,
बनता मकान ईंट गारे से,होता घर का निर्माण नहीं।
घर मकान का फर्क जानना वालों का संसार हुआ,
वही हुआ सार्थक समर्थ जिसका सच्चा घर-द्वार हुआ।