चाँद को निहारते हुए याद जो तुम्हारी आई चाँद को निहारते हुए याद जो तुम्हारी आई
क्षणिक दूरी की सोच भी सिहरा जाती है, आंख में बसे रहो और नाम हो ज़बान पर क्षणिक दूरी की सोच भी सिहरा जाती है, आंख में बसे रहो और नाम हो ज़बान पर