बैरी चाँद..
बैरी चाँद..
बादलों में छुपा शीतल चाँद को
निहारते हुए याद जो तुम्हारी आई...
सुर्ख हवाएँ भी मन को सिहरा देती,
आँखों के कोर हुए जो नम उनमें से
प्यार जो तेरा छलक रहा बेशुमार...
बादलों में छुपा शीतल चाँद को
निहारते हुए याद जो तुम्हारी आई...
सुर्ख हवाएँ भी मन को सिहरा देती,
आँखों के कोर हुए जो नम उनमें से
प्यार जो तेरा छलक रहा बेशुमार...