उम्र के निशान
उम्र के निशान
आहिस्ता आहिस्ता चांदनी,
उतर आयी है बालों पर
धीरे धीरे उम्र के निशान
गहराने लगे हैं चेहरे पर !
तुम्हें याद है ना जहां
तुमने चूमा था ?
वहां माथे पर कुछ
लकीरें उभर आयी हैं !
आंखों की किनारों पर
तुम्हारी याद में बहे
आंसू जम गए हो जैसे !
धीरे धीरे वक्त के साथ और
गहरे होते जा रहे हैं वह निशान
उम्र उतरती है जब चेहरे पर
यादों की कितनी परतें खोल देती है।
