रोग को योगा ही भगाएं
रोग को योगा ही भगाएं
तन-मन रखता संतुलित,
योग एक उपहार।
दूर करे हर व्याधियाँ,
करता यह उपचार।।
करता यह उपचार,
भोर होते ही उठिए।
करिए योगाभ्यास,
प्रफुल्लित मन को रखिए।।
कहे खरे कवि बन्धु,
योग सीखें अब जन-जन।
चमक उठे व्यक्तित्व,
दमकता सारा तन-मन।।
