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बेज़ुबानशायर 143

Abstract Fantasy Inspirational

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बेज़ुबानशायर 143

Abstract Fantasy Inspirational

क्यों ना मानव एकता की बात करें

क्यों ना मानव एकता की बात करें

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पहले अपने घर में साथ साथ रहे,

एक दूजे पर प्रेम की बरसात करें।

आओ सारी दुनियां को एकत्रित करें

क्यों ना मानव एकता की बात करें।।


जितना संगठित हम आपस में रहेंगे,

उतना मजबूत पल-पल होते जाएंगे।

आचरण में अपनेपन की महक भरें,

क्यों ना मानव एकता की बात करें।।


इतने सारे जीवों में एक आदमी ही है,

योग्यता और क्षमता से सामाजिक है

।संसार में दया और सत्कार का दंभ भरे,

क्यों ना मानव एकता की बात करें।।


किस बात का घमंड यहां हम करे,

किस बात की फिक्र यहां हम करे।

गिले-शिकवे भूलकर गले मिले सभी,

क्यों ना मानव एकता की बात करें।।


झगड़े और वाद-विवाद ना साथ रहे,

आपसी सद्भाव की सदा बारात रहे।

ऐसे व्यवहार को जहां में बढ़ाने के लिए,

क्यों ना मानव एकता की बात करें।।


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