उम्र भर तुम्हें
उम्र भर तुम्हें
उम्र भर तुम्हें हम मिटा न सकेंगे,
ख्वाबों में तुम्हें हम ऐसे लिखेंगे,
इबादत में रहेगा जिक्र इस कदर,
कि खुदा भी करेगा फिक्र हर प्रहर,
तुम भी डूबोगे यादों के समंदर में,
हम भी डूबेंगे यादों के मंज़र में,
उस सहर से दोनों बाहर आ न सकेंगे,
हाँ ख्वाबों में तुम्हें हम ऐसे लिखेंगे।