उम्मीदों वाला प्यार
उम्मीदों वाला प्यार
उसे पता चला हम चाहते हैं उसे,
उसने पूछा और जांच लिया,
पता था मुझे कुछ तो है मेरे लिए,
मैंने पहले ही भांप लिया।
उसने बता कर कि उसे पता है,
उस दिन को त्योहार बना दिया,
मेरी रौनक को देखते उस दिन,
उसने मुझको यार बना दिया।
और फिर कई दिन बात हुई,
गुड मॉर्निंग और शुभ रात हुई,
हां बस संदेशों पे ही बात हुईं,
लेकिन ख्वाबों में मुलाकात हुईं।
फिर बंद भी हो गईं, हां बंद हो गईं,
उसने मेरे सारे संदेशे पढ़ना छोड़ दिया,
कुछ उम्मीद थी उसे हमारे प्यार से,
उनके हिसाब से हमने उनको तोड़ दिया।
जिसने घर वालों से चाय नहीं मांगी,
उसने थानेदार से राय मांग ली,
उसको स्वाद ही नहीं आया हमने
दिल में कील ठोक के तस्वीर टांग ली।
उसने शायद मज़ाक में कहा था,
हम जा रहे जहां तुम भी वहीं आ जाओ,
शांत रहे वहां पर घर पर बोल दिया,
वो जहां चाहता है वहीं छोड़ के आओ।
उसको बताया नहीं तो क्या,
हमें उसके शहर में रहना था।
उसकी बातें अब भी मानता हूं,
बस यही उस से कहना था।
अब तो बहुत होती है उस से बात,
रात से सुबह सुबह से रात।
किसी ने सच कहा है सोना
निखरता ही है पिटने के बाद।
कभी सिर को कंधा देने की,
तो कभी दूसरों के फंदा देने की,
अब सारी बातें होती हैं हमारे बीच,
कभी तारे तो कभी चंदा देने की।
जी हां, जी वो पहली ही है,
क्या हुआ जो मैं पहला नहीं हूं।
किसी ने कहा था घुट जाएगी जिंदगी,
इस बात से भी मगर मैं दहला नहीं हूं।
तुझे भी तो कोई हमसफर चाहिए,
अप्सरा है तू बस हम सी नज़र चाहिए।
सोने से पहले शेर लिखता भेजता हूं,
बस तू ही मुझे हर पहर चाहिए।
जो मुझको कहना था कह दिया,
बाकी सब तुझ पर ही छोड़ दिया,
सब्र के बांध से गर बाढ़ आई,
फिर न कहना मुंह मोड़ लिया।