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Rajkumar Jain rajan

Drama

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Rajkumar Jain rajan

Drama

उम्मीदों के दीप

उम्मीदों के दीप

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बहुत बुरा होता है

आये दिन

कैद हो जाता है दिन

कर्फ्यू में

जिंदगी लगती सुनसान

निर्वासित हो जाती है मुस्काने

रिश्ते हो जाते बे-जान।


सिरफिरी हवाएं

उधम मचाती बार-बार

तार-तार होती 

अबलाओं की लाज़

चौराहे -तिराहे पर

फैला हुआ बारूद

बस, एक चिंगारी लगी नहीं कि

सुलग उठता है पूरा परिवेश।


कैसे कहें यह देश

सुभाष, भगतसिंह, 

बिस्मिल का

गुरु गोविंद सिंह, आज़ाद का

यह देश वीर सावरकर का

यह देश उधम सिंह का।


महवीर, बुद्ध और गांधी के

जीवन के आदर्श

जाने कहाँ दफ़न हो गए ?

क्यों पनप रही है आज

एक दिशाहीन,

 बदनाम विरासत।


जो बोती है

संवेदनाओं की फ़सल

आतंक की पीड़ा से 

जलता है चमन

होता है नर -संहार। 


आओ,

हम मिलकर 

उन्हें राह दिखाएं

विश्वास की बांहें फैलाकर

खण्ड -खण्ड होती 

संस्कृति की चीत्कार सुने।


दिशाहीन जो जीवन है उनमें

उम्मीदों का दीप जलाएं

शष्य स्यामला इस भूमि पर

सत्यम, शिवम, सुंदरम का

फिर वितान सजाएं।


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