उम्मीदें
उम्मीदें
उम्मीदों के दामन थाम
चलते हैं, हम राहों पर
जानते हैं बखूबी, ढलना है दिन को
अंधेरों में, फिर भी खोजते हैं शाम।।
सम्हाले, जिम्मेदारियों की कमान
स्नेहिल रिश्तों के मृदु भावों से
नहीं मांगता, ये दिल दौलत बेहिसाब
चाहता है, बस इच्छाओं का हो सम्मान।।
टूटने और छूटने के दुःख के साथ
कराते रहे, सत्य का भान----
और मुस्कुराहटों से अपनी
छेड़ते रहे, जग में प्रेम की तान।।