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Lokanath Rath

Abstract Inspirational

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Lokanath Rath

Abstract Inspirational

उम्मीद.........

उम्मीद.........

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किसी उम्मीद पे उम्मीद कर बैठे हम

उसी के सहारे भूलने कोशिश की गम

जब आँखें हमारी हो जाते है कभी नम

ढूंढते रहते हम, कहाँ छुपे हों तुम

समझ ना पाओगे कितने बेचैन हम

क्या क्या खोया है जब दूर चले गये तुम

वो कुछ पल की बाते थी, भूले नहीं हम

अब यादों में बसी है, तुम्हारी वो कसम

की सदा मिल के रहेंगे साथ साथ हम

हम भी वादा किये थे, क्या भूल गये तुम

वो वादे, जिन्दगी भर तो निभाएंगे हम

सह लेंगे सारे दर्द, पी लेंगे सारे गम

ये दुनिया कुछ भी बोले, ना भूलेंगे हम

चाहे कितने दूर कहीं पे छ

ुपे हो तुम

तुम भुला ना पाओगे , ये जानते है हम

जिन्दगी साथ में जीने की खाये थे कसम

सवाल जो जिन्दगी की है, कैसे भूलें हम

ये तो कोई खेल नहीं दिखाए कोई दम

या टूटा हुआ खिलौना को जोड़ने का काम

ये तो दिल की बाते, जाने हम और तुम 

मानते है उम्मीद पे जीते है अब हम

शायद इसी उम्मीद में भी तो होंगे तुम

यकीन मानो अब कुछ नहीं हुआ कम

ये रिश्ते में तो ही जुड़े है तुम और हम

ये दोस्ताना है हमारा, कभी होगा ना कम

मिलेंगे फिर कभी ना कभी माना है हम

इसी उम्मीद पे उम्मीद कर बैठे हम.....



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