उम्मीद
उम्मीद
अब खेत हरे भरे है
लेकिन संशय अब भी है
क्योंकि मौसम बेफ़िक्र है
सभी के दरम्यान
बदलते मौसम का जिक्र है
पानी अब भी बहाव पर है
मरहम की तरह खत्म करने
घाव पर है
लेकिन अब भी
उम्मीद से देखती दो आंखे
अब भी
अपलक निहार रहीं है
अपने भविष्य को
जो टिका है
इस बसन्त से उस
बसन्त के फैलाव पर।
दूर सुलगते अलाव की चमक
अब भी देखी जा सकती है
पर उससे चमकदार दो आंखें हैं
उम्मीद को थामे अस्तित्व
की सम्भावना युक्त।