रंगीन स्वप्न स्वतंत्रता
रंगीन स्वप्न स्वतंत्रता


एक स्वप्न रंगीन है,
स्वतंत्रता की तलाश है।
तन स्वतंत्र हो चुका है,
मन गुलाम है,
प्रश्न आजादी का रखा जाना,
इसीलिए सरेआम है।
आत्मा जब सो रही हो,
मूल्य नीति खो रही हो,
तन दिख रहा स्वतन्त्र हो,
मन में व्यर्थ मंत्र हो,
तब स्वतंत्रता का होना व्यर्थ है,
जब तक मन असमर्थ है।
मन में आओ जोश भर दे,
व्यर्थ को अब बाहर कर दे,
मन को हम समर्थता दे,
तब स्वप्न फिर न स्वप्न रहेगा,
रंगीन स्वप्न स्वतंत्रता।