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sai mahapatra

Tragedy

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sai mahapatra

Tragedy

उम्मीद

उम्मीद

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उम्मीद उससे रखना जो पुरा कर सके

ख़त उसे लिखना जो पढ़ सके

आजकल वक्त की कमी रहती है सबके पास

फिर भी कभी मन करे तो घर उसके जाना

जो पास बैठ कर तुम्हारा हालचाल पूछ सके


आजकल एक पहेली सा हो गया हूं मैं

जबसे उसकी लत हमें लगी

उसके ही जैसे हो गया हूं मैं

आजकल यह दुनिया शराबी बुलाने लगी है हमको

मेरे साथ बात करना, घुमना फिरना बुरा लगने लगा है सबको


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